इसरो ने से 2 विदेशी सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित किए, पीएम मोदी ने दी बधाई
श्रीहरिकोटा/नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने
रविवार को अपने अंतरिक्ष केंद्र से ब्रिटेन के पृथ्वी अवलोकन उपग्रहों
नोवाएसएआर और एस1-4 का प्रक्षेपण किया और कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित
किया. नोवाएसएआर का इस्तेमाल वन्य मानचित्रण, भू उपयोग और बर्फ की तह की
निगरानी, बाढ़ और आपदा निगरानी के लिए किया जाना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर इसरो के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई दी और कहा कि यह प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष कारोबार में भारत के महासामर्थ्य को दर्शाता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई. इसरो ने पीएसएलवी सी 42 का सफल प्रक्षेपण किया और ब्रिटेन के दो उपग्रहों को कक्षा में पहुंचाया. यह प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष कारोबार में भारत के महासामर्थ्य को दर्शाता है.’’
एस 1-4 का उपयोग संसाधनों के सर्वेक्षण, पर्यावरण निगरानी, शहरी प्रबंधन तथा आपदा निगरानी के लिए किया जाएगा. दोनों उपग्रहों को लेकर पीएसएलवी-सी42 अंतरिक्षयान रविवार रात 10:08 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लांचपैड से रवाना हुआ.पीएसएलवी ने उपग्रहों को प्रक्षेपण के 17 मिनट 45 सैकंड बाद कक्षा में स्थापित कर दिया. इसरो अध्यक्ष के सीवन ने कहा कि मिशन सफल रहा. उन्होंने वैज्ञानिकों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि अगले छह महीने में 10 उपग्रह मिशन और आठ लांच व्हीकल मिशन का प्रक्षेपण किया जाएगा. सीवन ने कहा कि इसरो का चंद्र मिशन तीन जनवरी, 2019 को प्रक्षेपित किया जाएगा. करीब छह महीने पहले ही इसरो ने आईएनआरएसएस-1आई नौवहन उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया था. दिल्ली : पिछले सप्ताह यूएस सेंसेस बोर्ड की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में प्रवासियों की संख्या पूरी जनसंख्या के 14 फीसदी तक पहुंच चुकी है. यदि दूसरे शब्दों में कहें तो अमेरिका में रहने वाला हर सातवां व्यक्ति अमेरिका में पैदा नहीं हुआ है. अंग्रेजी के अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार ये आंकड़े अमेरिकी कम्यूनिटी सर्वे 2017 की रिपोर्ट के आधार पर है. इस रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में प्रवासियों की संख्या 2016 से जुलाई 2017 तक 1.8 फीसदी तक बढ़ गई. इसमें भारतीय मूल के लोगों की संख्या सबसे तेजी से बढ़ी है. सामान्य तार पर अमेरिका को प्रवासियों के देश के तौर पर जाना जाता है. लेकिन पिछले 100 सालों में इस देश में प्रवासियों की संख्या इतनी कभी नहीं रही. अमेरिकी संस्था द सेंटर फॉर इमीग्रेट स्टडीज ने कहा है कि प्रवासियों की संख्या में पिछले दिनों रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है.
वर्ष 1980 में 16 में से सिर्फ एक व्यक्ति ही विदेशी था
वर्ष 1980 में अमेरिका में 16 में से एक व्यक्ति विदेशी मूल का था. द सेंटर फॉर इमीग्रेट स्टडीज की ओर से उपलब्ध डेटा का अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि वर्ष 2010 से 2017 के बीच भारत से लगभग 8.30 लाख लोग अमेरिका पहुंचे. वहीं चीन से लगभग 6.77 लाख लोग प्रवासी के तौर पर अमेरिका पहुंचे. डोमिनिकन गणराज्य से लगभग 2.83 लाख लोग इस दौरान अमेरिका पहुंचे. से के बीच भारत से पहुंचे प्रवासियों की संख्या में 47 फीसदी की वृद्धि हुई वहीं चीन से पहुंचे प्रवासियों की संख्या में 31 फीसदी और डोमिनिकन गणराज्य से पहुंचे लोगों की संख्या में 32 फीसदी वृद्धि हुई. वहीं इस दौरान नेपाल से अमेरिका पहुंचने वाले प्रवासियों की संख्या में भी तेज वृद्धि देखी गई है. 2010 से जुलाई 2017 तक लगभग 1.52 लाख नेपाली लोग अमेरिका पहुंचे हैं. अमेरिका में पाकस्तानी नागरिकों की संख्या भी लगभग 04 लाख के करीब पहुंच चुकी है ये इनकी संख्या में इस दौरान 31 फीसदी की वृद्धि हुई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर इसरो के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई दी और कहा कि यह प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष कारोबार में भारत के महासामर्थ्य को दर्शाता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई. इसरो ने पीएसएलवी सी 42 का सफल प्रक्षेपण किया और ब्रिटेन के दो उपग्रहों को कक्षा में पहुंचाया. यह प्रतिस्पर्धी अंतरिक्ष कारोबार में भारत के महासामर्थ्य को दर्शाता है.’’
एस 1-4 का उपयोग संसाधनों के सर्वेक्षण, पर्यावरण निगरानी, शहरी प्रबंधन तथा आपदा निगरानी के लिए किया जाएगा. दोनों उपग्रहों को लेकर पीएसएलवी-सी42 अंतरिक्षयान रविवार रात 10:08 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के प्रथम लांचपैड से रवाना हुआ.पीएसएलवी ने उपग्रहों को प्रक्षेपण के 17 मिनट 45 सैकंड बाद कक्षा में स्थापित कर दिया. इसरो अध्यक्ष के सीवन ने कहा कि मिशन सफल रहा. उन्होंने वैज्ञानिकों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि अगले छह महीने में 10 उपग्रह मिशन और आठ लांच व्हीकल मिशन का प्रक्षेपण किया जाएगा. सीवन ने कहा कि इसरो का चंद्र मिशन तीन जनवरी, 2019 को प्रक्षेपित किया जाएगा. करीब छह महीने पहले ही इसरो ने आईएनआरएसएस-1आई नौवहन उपग्रह को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया था. दिल्ली : पिछले सप्ताह यूएस सेंसेस बोर्ड की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में प्रवासियों की संख्या पूरी जनसंख्या के 14 फीसदी तक पहुंच चुकी है. यदि दूसरे शब्दों में कहें तो अमेरिका में रहने वाला हर सातवां व्यक्ति अमेरिका में पैदा नहीं हुआ है. अंग्रेजी के अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार ये आंकड़े अमेरिकी कम्यूनिटी सर्वे 2017 की रिपोर्ट के आधार पर है. इस रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में प्रवासियों की संख्या 2016 से जुलाई 2017 तक 1.8 फीसदी तक बढ़ गई. इसमें भारतीय मूल के लोगों की संख्या सबसे तेजी से बढ़ी है. सामान्य तार पर अमेरिका को प्रवासियों के देश के तौर पर जाना जाता है. लेकिन पिछले 100 सालों में इस देश में प्रवासियों की संख्या इतनी कभी नहीं रही. अमेरिकी संस्था द सेंटर फॉर इमीग्रेट स्टडीज ने कहा है कि प्रवासियों की संख्या में पिछले दिनों रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई है.
वर्ष 1980 में 16 में से सिर्फ एक व्यक्ति ही विदेशी था
वर्ष 1980 में अमेरिका में 16 में से एक व्यक्ति विदेशी मूल का था. द सेंटर फॉर इमीग्रेट स्टडीज की ओर से उपलब्ध डेटा का अध्ययन करने के बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि वर्ष 2010 से 2017 के बीच भारत से लगभग 8.30 लाख लोग अमेरिका पहुंचे. वहीं चीन से लगभग 6.77 लाख लोग प्रवासी के तौर पर अमेरिका पहुंचे. डोमिनिकन गणराज्य से लगभग 2.83 लाख लोग इस दौरान अमेरिका पहुंचे. से के बीच भारत से पहुंचे प्रवासियों की संख्या में 47 फीसदी की वृद्धि हुई वहीं चीन से पहुंचे प्रवासियों की संख्या में 31 फीसदी और डोमिनिकन गणराज्य से पहुंचे लोगों की संख्या में 32 फीसदी वृद्धि हुई. वहीं इस दौरान नेपाल से अमेरिका पहुंचने वाले प्रवासियों की संख्या में भी तेज वृद्धि देखी गई है. 2010 से जुलाई 2017 तक लगभग 1.52 लाख नेपाली लोग अमेरिका पहुंचे हैं. अमेरिका में पाकस्तानी नागरिकों की संख्या भी लगभग 04 लाख के करीब पहुंच चुकी है ये इनकी संख्या में इस दौरान 31 फीसदी की वृद्धि हुई है.
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